शनिवार, 1 अप्रैल 2023

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अधिनियम
मानव-अधिकार-संरक्षण-एक्ट -1993
राज्य-मानवाधिकार-आयोग
Act
राज्य मानवाधिकार आयोग भाग दो (State Human Rights Commission Part Two)
राज्य मानवाधिकार आयोग भाग दो (State Human Rights Commission Part Two)
अध्याय 6: राज्य मानव अधिकार न्यायालय
धारा 30 : मानवाधिकार न्यायालय:-
मानवाधिकारों के उल्लंघन से उत्पन्न अपराधों के शीघ्र विचारण का उपबंध करने के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से अधिसूचना द्वारा प्रत्येक के जिले के लिए उक्त अपराधों पर विचारण करने के लिए एक सत्र न्यायालय को मानवाधिकार न्यायालय होने के रूप में विनिर्दिष्ट करेगी।
परंतु यही कि इस धारा की कोई बात लागू नहीं हो यदि
(क) सत्र न्यायालय को पहले ही विशेष न्यायालय विनिर्दिष्ट किया गया है, या (ख ) वर्तमान में प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन ऐसे अपराधों के लिए विशेष न्यायालय पहले ही गठित किया गया है।
धारा 31: विशिष्ट लोक अभियोजक :-
प्रत्येक मानवाधिकार न्यायालय के लिए, राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा उच्च न्यायालय में मामलों को संचालित करने के प्रयोजनार्थ एक विशिष्ट लोक अभियोजक को विनिर्दिष्ट करेगी या किसी ऐसे एडवोकेट को नियुक्त करेगी जो एडवोकेट के रूप में कम से कम 7 वर्षों से प्रैक्टिस में रहा है।
अध्याय -7: वित्त, लेखा और लेखा परीक्षा
धारा 32: भारत सरकार द्वारा अनुदान:-
(1) भारत सरकार इस संबंध में कानून के अनुसार इस संबंध में संसद द्वारा विनियोजन करने के बाद अनुदान के रूप में आयोग को ऐसी धनराशि का संदाय करेगी जिसे भारत सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ उपयोग किए जाने हेतु उपयुक्त समझेगी।
(2) आयोग इस अधिनियम के अधीन कार्यों को निष्पादित करने के लिए ऐसी राशि वह करेगी जो वह उचित समझें, तथा ऐसी राशि का उपयोग (1) में विनिर्दिष्ट अनुदानों में से संदेय के रूप में समझा जाएगा।
धारा 33: राज्य सरकार द्वारा अनुदान:-
(1) राज्य सरकार इस संबंध में कानून के अनुसार इस संबंध में विधान मंडल द्वारा विनियोजन करने के बाद अनुदान के रूप में राज्य आयोग को ऐसी धनराशि का संदाय करेगा जिसे राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ उपयोग किए जाने हेतु उपयुक्त समझेगी।
(2 ) राज्य आयोग अध्याय 5 के अधीन कार्यों के निष्पादन के लिए ऐसी राशि व्यय करेगी जो वह उचित समझे, तथा ऐसी राशि को उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अनुदान में से संदेय व्यय के रूप में समझा जाएगा।
धारा 34: लेकर और लेखा परीक्षा:-
(1) आयोजित लिखें और सुसंगत अभिलेख रखेगा तथा लेखों का वार्षिक विवरण ऐसे प्रपत्र में तैयार करेगा भारत के नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक के परामर्श से भारत सरकार दुवारा विहित किया जायेगा।
(2) आयोग के लेखों की लेखा परीक्षा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा ऐसे अंतराल पर कराई जाएगी जो उसके द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएंगे और ऐसी लेखा परीक्षा के संबंध में किया गया कोई भी व्यय आयोग द्वारा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को संदेय होगा।
(3) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एवं इस अधिनियम के अधीन उपयोग के लेखों की लेखा परीक्षा के संबंध में उसके द्वारा नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति, ऐसा लेखा परीक्षा के संबंध में वही अधिकार, विशेषाधिकार एवं प्राधिकार रखेगा जो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सामान्यतया सरकारी लेखों की परीक्षा के संबंध में रखता है एवं विशेष रूप में उसे आयोग की पुस्तकों, लेखों संबंधित बाउचरों एवं अन्य दस्तावेजों एवं कागजों को मांगने का, तथा आयोग के कार्यालयों का परीक्षण करने का अधिकार होगा।
(4) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक या इस संबंध में उसके द्वारा नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा यथा प्रमाणित आयोग के लेखों को, उस पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन के साथ, आयोग द्वारा हर वर्ष भारत सरकार को अग्रेषित किया जाएगा तथा भारत सरकार से प्राप्त करने के बाद, यथा शीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के सामने प्रस्तुत करवाएगी।
धारा 35: राज्य आयोग के लेख लिखें और लेखा परीक्षा:-
(1) आयोग उचित लेखे और सुसंगत अभिलेख रखेगा तथा लेखों का वार्षिक विवरण ऐसे प्रपत्र में तैयार करेगा जो भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा विहित किया जाएगा।
(2) राज्य आयोग के लेखों की लेखा परीक्षा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के संबंध में किया गया कोई भी व्यय आयोग द्वारा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को संदेय होगा।
(3) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एवं इस अधिनियम के अधीन राज्य आयोग के लेखों की लेखा परीक्षा के संबंध में उसके द्वारा नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति ऐसी लेखा परीक्षा के संबंध में वे ही अधिकार, विशेषाधिकार एवं प्राधिकार रखेगा जो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सामान्यतया सरकारी लेखों की लेखा परीक्षा के संबंध में रखता है एवं विशेष रूप से उसे आयोग की पुस्तकों, लेखो संबंधित बाउचरों एवं अन्य दस्तावेजों एवं कागजातों को मंगवाने का तथा राज्य आयोग के कार्यालयों का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।
(4) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक या इस संबंध में उसके द्वारा नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा तथा प्रमाणित राज्य आयोग के लेखों को उस पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन के साथ राज्य आयोग द्वारा हर वर्ष राज्य सरकार को अध्यक्ष किया जाएगा तथा राज्य सरकार से प्राप्त करने के बाद यथाशीघ्र राज्य विधान मंडल के समक्ष प्रस्तुत करवाएगी।
अध्याय -8: विविध
धारा 36: मामले जो आयोग की अधिकारिता में नहीं आते:-
(1) आयोग ऐसे किसी भी मामले में जांच नहीं करेगा जो राज्य आयोग या वर्तमान में प्रवृत किसी विधि के अधीन किसी अन्य आयोग के समक्ष लंबित है।
(2) अयोग या राज्य आयोग उस तारीख से जिसको मानवाधिकारों के उल्लंघन करने वाला कृत्य किए जाने का आरोप किया गया 1 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसी मामले में जांच नहीं करेगा।
धारा 37: विशेष अन्वेषण दल का गठन:-
वर्तमान में प्रवृत किसी अन्य विधि में अंतरविष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां सरकार ऐसा करने का विचार करती हो, मानव अधिकारों के उल्लंघन के उत्पन्न अपराधों के अन्वेषण एवं अभियोजन के लिए आवश्यक एक या अधिक विशेष अन्वेषण दलों जिनमें पुलिस अधिकारी होंगे, का गठन करेगा।
धारा 38: सदभाव में की गई कार्रवाई का अभियोजन:-
भारत सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग या उसके किसी व्यक्ति या भारत सरकार, आयोग या राज्य आयोग में से किसी के निर्देश के अधीन कार्य करने वाला कोई व्यक्ति के विरोध किसी ऐसी चीज के संबंध में सद्भावना में की गई है या इस अधिनियम या तद्भीन निर्मित किन्ही नियमो का या किन्ही आदेशों में किये जाने के लिए आशयित है या भारत सरकार, राज्य सरकार आयोग या राज्य आयोग के प्राधिकार द्वारा या के अधीन किसी भी प्रतिवेदन पेपर या कार्रवाई के प्रकाशन के संबंध में कोई वाद या अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
धारा 39: सदस्य एवं अधिकारी लोक सेवक होंगे:-
राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग का प्रत्येक सदस्य भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत लोकसेवक समझा जाएगा।
धारा 40: भारत सरकार की नियम बनाने की शक्ति:-
भारत सरकार अधिनियम में दिए गए प्रावधानों को सशक्त बनाने के लिए, धारा 8 के अंतर्गत वेतन भत्ते सेवा शर्ते, धारा 11 (3) में प्रशासनिक तकनीकी वैज्ञानिक स्टाफ की नियुक्ति, धारा 13 (1) के अंतर्गत सिविल न्यायालय की शक्ति, धारा 34(1) के अधीन आयोग द्वारा तैयार किए गए वार्षिक विवरण के संबंध में नियम बना सकेगी।
धारा 40 ए: पूर्वर्ती प्रभाव से नियम बनाने की शक्ति:-
केंद्र सरकार राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से पूर्ववर्ती प्रभाव से नियम बना सकेगी।
धारा 41: राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति:-
राज्य सरकार धारा 26, 27(3), 35 (1) के अंतर्गत नियम बना सकेगी। ऐसे समस्त नियम विधान मंडल द्वारा पारित किए जा सकेंगे।
धारा 42: कठिनाइयों के निराकृत करने की शक्ति:-
भारत सरकार, शासकीय राजपत्र में प्रकाशित आदेश के द्वारा उत्पन्न कठिनाइयों को दूर कर सकेगी। जो कि अधिनियम के लागू होने के 2 वर्ष की अवधि में उत्पन्न हो।
धारा 43: निर्धन व्यावृत्ति :-
इस अधिनियम के द्वारा मानवाधिकार संरक्षण अध्यादेश 1993 किया जाता है।
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